مکتب تکمیل لعلوم جگدیسپور کمپوٹر کلاس
जी हाँ २००८ से खरीद कर ४ कम्प्यूटर रक्खे गये हैं जिसे कभी लगने नहीं दिया गया
علم حاصل کرو چاہے چین ہی جانا پڑے
اطلبوا العلم ولو بالصین․
जिसका विरोध स्कूल के प्रिंसपल साहब ने किया
यह सब यहाँ नहीं चल सकता यह मुंबई नहीं है
२०२० अच्छी शिक्षा के लिए पूर्व BSF के DIG नईम साहब को लाया गया स्कूल को जदीद तालीम से आरास्ता करने के लिए उन्होंने LED वाई फाई लगवाने को कहा जिसे कमेटी ने लगवा दिया परन्तु इस बार भी प्रिंसपल ने उनको स्कूल में पढ़ाने पर ऐतराज़ किया और स्कूल से LED और वाईफाई और वायरिंग सब गायब करदी गई
अरबी की बेहतरीन तालीम के लिए मौलाना अलीम साहब फ्री में पढ़ाने को तैयार हुवे और उनको लाया गया परन्तु प्रिंसपल साहब ने उन्हें पढ़ाने के लिए बच्चे ही नहीं दिए
सभी बड़ी उम्र के लोग यह जानते हैं आज से ४४ साल पहले १९८० में बाढ़ आयी थी पानी स्कूल के अंदर तक आगया था
स्कूल की ईमारत में सगाफ होगया था
उस वक़्त के ज़िम्मेदारों ने इंजीनियर को बुलवाया और स्कूल दिखाया तो इंजीनियर ने स्कूल खाली करने को कहा था
कई महीन तक स्कूल के बॉउंड्री और ब्रानदौं में पढ़ाया गया
यह इमारत बहोत पुरानी होचुकी है
पुरखों ने बड़ी मेहनत से इसको बनाया है गरीबी के दिनों में उस वक़्त बनाया था जब किसी के पास पकके मकान तो ठीक से कच्चा मकान भी नहीं होता था
इस बात को देखते हुवे गौर किया गया
स्कूल की एक नई ईमारत बनाई जाए
जिसका मॉडल भी तैयार किया गया है
जिसे आप देख सकते हैं
विवाद क्या है जब सब कुछ इतना अच्छा चल रहा था तो
प्रिंसपल साहब नाराज़ क्यों हैं
असल में उनका कहना है
यह नेपोरी होते कौन हैं यह सब करने वाले इनको किसने मैनेजर और सदर बनाया है
स्कूल जैसे चल रहा था वैसे चलेगा
यह कोई सहर नहीं है यह देहात है यहाँ कम्प्यूटर और साइन्स जिसे पढना है अपना अलग स्कूल बना लें
मैनेजमेंट्स का कहना है सेंकडो बच्चे आसपास के गांव से प्रतापगढ़ और भोपिया मऊ पढ़ने बस से जाते हैं
हम प्रतापगढ़ से २ अच्छे टीचर मकतब में बुलाएंगे वही पढाई यहीं होगी १०० बच्चों को वहां जाने से अच्छा है २ टीचर वहां से यहाँ लाया जाए
इससे गरीब बच्चों को भी प्रतापगढ़ वाली शिक्षा मकतब में ही मिल जायेगी
प्रिंसपल साहब को डर साता रहा है पढ़े लिखे आएंगे तो वह उनको प्रिंसपल नहीं रहने देंगे वैसे भी प्रिंसपल साहब की आयु ६० से ज्यादा होगइ है
कानून के मुताबिक ऊँहें रिटायर्ड होना चाहिए
अब ग्रामवासी और क़ौम के लोगों का रुझान क्या है
मैनेजमेंट्स के लोग का अवाम तक पहुंच नहीं है
मास्टर सकील साहब और मास्टर अनीश साहब राजनितिक सख्सियत है
दोनों लोग प्रधानी का चुनाव लड़ते हैं
अनीश साहब प्रधान भी रह चुके हैं
दोनों लोगों की अवाम तक पहुंच है
उन्होंने मैनेजमेंट्स पर स्कूल का कब्ज़ा करने का आरोप लगाया
क़ौम ने स्कूल की मोहब्बत में इनकी बातो को सच मान लिया
जब की स्कूल पर इन दोनों लोगों का कब्ज़ा है
यह स्कूल के बैंक अकॉउंट में पैसे नहीं जमा करते
खजांची को हिंसाब नहीं देते
सेक्रेटरी के आदेशों का पालन नहीं करते
सदर को नेपोरी कहते हैं
मास्टर सकील साहब का तो यह भी कहना है उनसे कम हमारी अवक़ात नहीं है
यह भी कहते सुने गाये राईस जैसे ३ लोगों को अनीस साहब खरीद सकते हैं इतनी प्रापर्टी है उनके पास
यह वीडियो स्कूल के ऑफिस का है
मैनेजर को कहते हैं तुम्हारा काम है खिड़की दरवाजा लगवाना
स्कूल में टीचर भी सकील साहब रखते हैं
चन्दे का पैसा सकील साहब अपने पर्सनल अकॉउंट में रखते हैं
जब की स्कूल का एक अकॉउंट है
सर्कारी आदेश है स्कूल और मदरसों को चलाने वाली ट्रस्ट रजिस्टर्ड होनी चाहिए
बैंक अकॉउंट ट्रस्ट के नाम होना चाहिए
टीचर्स का बेतन बैंक से जाना चाहिए
स्कूल का अकाउंट्स हर साल एडिट होना चाहिए
स्कूल सरकारी टाइम टेबल से चलना चाहिए
परन्तु मकतब स्कूल में यह रूल्स लागु नहीं होता
बीजेपी सरकार में ७ ००० से ज्यादा मदरसे गिरवाए
सभी पर आरोप लगाया चंदे और दूसरे मिलने वाले पैसों का हिंसाब किताब सही नहीं है
मनीलांड्रिंग विदेशी फंडिंग जैसे गंभीर आरोप लगा कर स्कूल और मदरसे गिर्वा दिए
क्या यह खबर क़ौम के पढ़े लिखे लोगों तक नहीं पहुंची
फिर क़ौम के जागरूक लोग मकतब के मैनेजमेंट्स से यह सवाल क्यों नहीं पूंछते
यह याद रखिये क़ौम के अहल लोग अगर यह काम नहीं करेंगे तो उस पर ना अहल लोग क़ाबिज़ हो जाएंगे
स्कूल में मीटिंग बुलाना सेक्रेटरी का काम है परन्तु मकतब के टीचर्स जब चाहें मीटिंग बुला रहे हैं
फिर भी इल्जाम स्कूल क़ब्ज़ा करने का लगा रह हैं
बूत हमको कहें काफिर खुदा मर्जी
اللہ تعالی نے قران میں فرمایا۔
صم بكم عمي فهم لا يرجعون۔
بہرے گونگے اندھے ہیں ۔ پس وہ نہیں لوٹتے ۔
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