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पलिस्तीन उस्मानिया सल्तनत का हिस्सा था
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पलिस्तीन उस्मानिया सल्तनत का हिस्सा था
फिर सऊदी दुबई क़तर कोइत मिश्र सीरिया के जो शैख़ हैं इनके बाप दादा उस्मानिया खिलाफत को मिटाने के लिए ब्रिटिश का साथ दिए जिसके लिए लाखो शैख़ मक्की और कादयानी बरेलवी अहलेहदीस फिरके बनाये गए जो कहते थे खलीफा क़ुरैश ही होना चाहिए उस्मनिया नहीं ब्रिटिश सरकार ने खिलाफत को मिटाने के बाद इस्राइल को पलिस्तीन की ज़मीन पर एक मुल्क बना दिया आज के अहलेहदीस कादयानी बरेलवी कहने को तो पलिस्तीन पर होने वाले ज़ुल्म का मातम करते हैं
१५ अगस्त १८८८ ई. में इनका जन्म वेल्स के ट्रेमाडोक नामक स्थान पर हुआ था। इन्होंने ऑक्सफर्ड में शिक्षा प्राप्त की थी। १९१० ई. में सिरिया गए और इन्होंने चार वर्ष के अपने प्रवास में अरब लोगों का अध्ययन किया। १९१५ ई. में ये मिस्र भेजे गए और इसी वर्ष तुर्की ब्रिटेन के विरुद्ध प्रथम विश्वयुद्ध में सम्मिलित हो गया। इस समय लारेंस ने अरब कबीलों का संगठन तुकों के विरुद्ध किया, जिससे इस प्रदेश में तुर्कियों का प्रभाव नष्ट हो गया। अपने इस कार्य के कारण ये अरब के लारेंस नाम से प्रसिद्ध हुए।
लेकिन यह कभी नहीं कहते इसराइल को बनवाने के लिए कितने डालर और पौंड की पेंशन अंग्रेज से लेते थे
खिलाफत मूवमेंट्स को रोकने के लिए अंग्रेजों का साथ देने वाले मुनाफ़िक़ भी पलिस्तीन पर मगरमछ के आंसू बहाते हैं
हालाँकि उनके मुल्ले मौलाना के फतवे आज भी हैं उस्मानिया खिलाफत को इस्लमी खिलाफत मैंने से वह एक हदीस का हवाले देते थे
खलीफा सिर्फ क़ुरैश हो सकता है
जब की अल्लाह के रसूल की हदीस मौजूद थी किसी आजमी को किसी अरबी पर या किसी अरबी को किसी आजमी पर कोई फौकियत नहीं होगी
लेकिन मुस्तुफा कमल पासा और जमाल अब्दुल नासिर
जैसे ब्रिटिश एजेंट लारेन्स अरबिया को शैख़ मक्की कहते थे
जैसे उस्मानिया खिलाफत ख़तम हुई
इन लोगों ने अपना असली चेहरा दिखाया इस्लामी दाढ़ी टोपी पर पाबन्दी लगा दिया
अंग्रेजों ने अरब के इतने टुकड़े किये और इस तरह किये वह कभी एक दूसरे के साथ नहीं बैठ सकते
ईरान शिया
इराक सुन्नी
सऊदी वहाबी
यमन सबाई
सीरिया नुसहरी
मिश्र कम्युनिस्ट
जैसे लोगों के हाँथ में दे दिया
सभी एक दूसरे के दुसमन बने रहे
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