राजेश गुलाटी ने अनुपमा गुलाटी के 72 #टुकड़े किए और D फ्रीजर में रक्खा आफताब ने श्रद्धा के 35 टुकड़े
18 मई 2007 हैदराबाद की मक्का मस्जिद में जुमे की नमाज़ के दौरान विस्फोट हुआ। 9 लोग मारे गए
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फैसला सुनाने के कुछ घंटों बाद ही जज के. रविंद्र रेड्डी ने इस्तीफा दे दिया। रेड्डी ने आंध्र प्रदेश हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को इस्तीफा भेजा है।.
शुरुआती जांच — तेलंगाना/हैदराबाद पुलिस
उस समय पुलिस ने जांच शुरू की और शुरुआती शक आतंकी संगठन हिज़ब-उल-जिहाद अल-इस्लामी (HUJI) पर किया।कुल २००७ में पुलिस ने करीब १००+ मुस्लिम युवाओं को हिरासत में लिया था। The Indian Express +2 The Economic Times +2
उनमें से कुछ नाम ऊपर दिए गए हैं —
युवकों को हिरासत में भी लिया गया
हिरासत के बाद बरी हुए)
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Dr Syed Ibraheem Junaid
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Mohammed Abdul Sattar
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Mohammed Abdul Kareen
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Arshad Khan
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Mohammed Naseeruddin
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Mohammed Abdul Raheem
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Syed Abdul Quader
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Shaikh Mohammed Fareed
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Abdul Wajed
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Abdul Wasey
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Mohammed Rayeesuddin
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Mohammed Mustafa Ali
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Mohammed Fasihuddin
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Mohammed Shajeeuddin
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Mohammed Suhail
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Syed Abdul Kareem
(ये वे नाम हैं जिन्हें मीडिया रिपोर्ट्स में “गलत तरीके से फँसे हुए” बताया गया है।)
18 मई 2007 के मक्का मस्जिद धमाके में यहां की विशेष अदालत ने स्वामी असीमानंद समेत पांचों अभियुक्तों को बरी कर दिया। घटना के 11 साल बाद फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि अभियुक्तों के खिलाफ एक भी आरोप साबित नहीं हो सका है। सबसे पहले इस मामले की जांच करते हुए पुलिस ने आतंकी संगठन हूजी को जिम्मेदार ठहराया था। लेकिन बाद में सीबीआई ने दक्षिणपंथी संगठन 'अभिनव भारत' पर ब्लास्ट के आरोप
NIA की जांच (2011 के बाद) 2011 में यह केस NIA को सौंपा गया। NIA ने आरोप-पत्र (chargesheet) दाख़िल किए और कुल 10 लोगों को आरोपी बनाया गया। कुछ आरोपी फरार भी रहे।
असीमानंद के वकील जे. पी. शर्मा के अनुसार, केस के 226 गवाहों में से सरकारी मुलाजिमों को छोड़ दें, तो किसी ने भी प्रॉसिक्यूशन की थियरी का साथ नहीं दिया। सबसे बड़ा सबूत सीबीआई हिरासत में स्वामी असीमानंद का इकबालिया बयान था, जिसे बचाव पक्ष ने दबाव में लिया बताया। फैसले से असीमानंद के अलावा देवेंद्र गुप्ता, लोकेश शर्मा, भरत मोहनलाल रतेश्वर उर्फ भरत भाई और राजेंद्र चौधरी को भी रिहाई मिल गई है। वैसे इस मामले में 10 आरोपी थे, लेकिन उनमें से सिर्फ पांच पर केस चलाया गया। दो अन्य आरोपी संदीप वी डांगे और रामचंद्र कालसांगरा फरार हैं, जबकि सुनील जोशी की हत्या कर दी गई। दो अन्य के खिलाफ जांच चल रही है।
गौरतलब है, असीमानंद को 2007 के अजमेर दरगाह आतंकी हमला मामले में पिछले साल बरी किया गया था। हालांकि 2007 के समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट में वह अब भी आरोपी हैं।
विपक्ष ने उठाए NIA जांच पर सवाल
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