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भदरसा कस्बे के मोइद ख़ान की बेकरी की फैक्ट्री पर बुलडोज़र को मायावती का समर्थन कहा संतोष जनक करवाई
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अयोध्या में नाबालिग के कथित बलात्कार के बाद राज्य में शुरू हुई सियासत
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- Author,सैय्यद मोज़िज़ इमाम
- पदनाम,बीबीसी संवाददाता, अयोध्या से
उत्तर प्रदेश के अयोध्या ज़िले में एक बच्ची के साथ कथित बलात्कार की घटना पर राजनीति तेज हो गई है, जहां सत्ताधारी बीजेपी और विपक्षी समाजवादी पार्टी आमने सामने हैं.
बीजेपी का आरोप है कि अभियुक्त मोइद ख़ान समाजवादी पार्टी के नेता है इसलिए अपने रसूख का इस्तेमाल करके मामले को दो महीने से दबाए रखा है
बीजेपी के प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ित बच्ची के परिवार से मुलाक़ात की है जिसके बाद पीड़ित को लखनऊ में बेहतर इलाज के लिए भेजा गया है.
इस मामले में पुलिस ने दो अभियुक्तों मोइद ख़ान और राजू को जेल भेज दिया, वहीं पीड़ित परिवार को धमकाने के मामले में नगर पंचायत के चेयरमैन राशिद और एक अन्य व्यक्ति के ख़िलाफ़ मुकदमा दर्ज किया गया है.
अभियुक्त मोइद ख़ान की एक बेकरी है. सीतापुर के रहने वाले राजू वहां काम करते थे.
पुलिस के मुताबिक़ राजू पर आरोप है कि वो पीड़िता को बहला फुसलाकर बेकरी में ले गए और जिसके बाद दोनों अभियुक्तों ने उसके साथ दुष्कर्म किया. बाद में पीड़िता के गर्भवती हो जाने पर परिजनों को इस बारे में पता चला.
इस मामले में पुलिस ने पॉक्सो एक्ट के अलावा कई धाराओं में मुकदमा दर्ज किया है और अभियुक्तों को जेल भेज दिया गया है.
पीड़िता की मां ने मीडिया के सामने मांग की है कि अभियुक्तों को फांसी की सज़ा होनी चाहिए.
उन्होंने आरोप लगाया है कि चेयरमैन राशिद और कुछ अन्य लोग उन पर समझौता करने का दबाव बना रहे हैं

अब तक प्रशासन ने मोइद ख़ान की बेकरी की फैक्ट्री पर बुलडोज़र चला दिया है और सारा सामान बिखरा पड़ा है और मौके पर पुलिस की भारी तैनाती की गई है.
एडीएम प्रशासन अनिरूद्ध सिंह ने मीडिया को बताया, "आरोपी ने सार्वजनिक तालाब और ज़मीन पर अतिक्रमण किया है. इसके अलावा सड़क पर मल्टी कॉम्पलेक्स बनाया गया था, राजस्व और नगर पंचायत की टीम ने इन जगहों की पहचान की है."
उन्होंने कहा, "हमारे उप ज़िलाधिकारी ने बताया कि कई लोग नें शिकायत की है कि दलित और ग़रीब की ज़मीन पर अतिक्रमण किया गया है. इसलिए बुलडोज़र चलाया गया."
एडीएम ने कहा कि मल्टी काम्पलेक्स को खाली करने का नोटिस दिया गया है जिसमें पंजाब नेशनल बैंक चल रहा था. इसके खाली करने पर ही कार्रवाई की जाएगी.
मोइद ख़ान के परिवार वालों का कहना है कि ज़मीन उनकी नहीं बल्कि लंदन में रहने वाले महमूद ख़ान की है और मल्टी काप्लेक्स भी उन्हीं का है. महमूद ख़ान अभियुक्त के रिश्तेदार बताए जा रहे हैं.
हालांकि अयोध्या विकास प्राधिकरण के सचिव सतेन्द्र सिंह ने कहा कि ये पूरा निर्माण तालाब की ज़मीन पर था, जो क़ानूनी नहीं था, इसलिए इसे तोड़ने का फ़ैसला हुआ.
भदरसा कस्बे के लोगों का कहना है कि पुलिस हर संपत्ति को मोइद ख़ान का बता कर मनमानी कर रही है.
मसलन रंगशाह मोहल्ले में पुरानी पुलिस चौकी की इमारत को भी अवैध बताया गया है.
स्थानीय लोगों ने बीबीसी को बताया कि यह इमारत किसी मोहम्मद अहमद की है और इस पर मालिकों की तरफ़ से बिजली का बिल और कागज़ात चिपकाए गए हैं.
प्रशासन का कहना है कि अभी कई जगहों को चिन्हित किया जा रहा है.
पीड़ित और अभियुक्त पक्ष का क्या कहना है

पीड़ित पक्ष की बात समझने के लिए बीबीसी की टीम जब उसके घर गई तो पता चला कि पीड़िता और उसकी मां को इलाज के लिए लखनऊ ले जाया गया है.
उनकी बड़ी बहन और एक छोटी बहन घर पर थीं. उन्होंने कुछ भी कहने से मना कर दिया. पड़ोसियों से बातचीत करने की कोशिश की गई तो इस मुद्दे पर कोई बोलने के लिए तैयार नहीं है.
अभियुक्त मोइद ख़ान के घर पर बीबीसी के पहुंचने पर काफी लोग गली में मौजूद थे.
वहां मौजूद मोइद ख़ान के बेटे शाबान ने बताया, "पहले राजू को ही पुलिस ढूंढ रही थी, मैं पुलिस के साथ सीतापुर के लहरपुर गया. वहां वो मस्जिद में छुपा हुआ था. वहां से पुलिस राजू को पूराकलंदर थाना लेकर आई, लेकिन बाद में पता चला कि मामले में मोइद का भी नाम है."

शाबान ने कहा कि ये मामला राजनीति से जुड़ा हुआ है क्योंकि मिल्कीपुर में विधानसभा उपचुनाव है और इस वजह से उनके पिता को निशाना बनाया जा रहा है, जो समाजवादी पार्टी के नगर अध्यक्ष हैं.
अभियुक्त पक्ष ने मांग की है कि पीड़िता और मोइद ख़ान का डीएनए टेस्ट कराया जाए.
मोइद के चचेरे भाई जब्बार ख़ान ने बीबीसी से कहा, "हम लोग पीड़िता के साथ हैं और उसे न्याय मिलना चाहिए."
"इसलिए अगर डीएनए टेस्ट और नार्कों टेस्ट हो जाए और मोइद ख़ान दोषी हों तो उनको सज़ा होना चाहिए. नहीं तो उन्हें सज़ा मिलनी चाहिए जो उनको फंसा रहे हैं."

इस मामले के सामने आने के बाद बीजेपी नेता और पूर्व मंत्री निरंजन ज्योति भी पीड़िता के घर गई थीं.
इस मुलाकात के बाद उन्होंने कहा, "मुख्यमंत्री से विधायक जी ने मिलवाया था. पूरी सरकार उनके साथ है और जिस तरह से वीडियो बनाकर धमकी देते रहे और उस पार्टी के मुखिया जिसमें अभियुक्त हैं, पहले उन्हें निष्काषित करना चाहिए."
वहीं निषाद पार्टी के अध्यक्ष संजय निषाद ने कहा, "अखिलेश का पीडीए का नारा झूठा है. समाजवादी पार्टी कोई कार्रवाई नहीं कर रही है, हम लोग पीड़िता के साथ रहेंगे, जब तक उन्हें न्याय नहीं मिल जाता है.'
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने डीएनए टेस्ट की मांग की है. वहीं स्थानीय समाजवादी पार्टी के नेता प्रशासन पर एकतरफ़ा कार्रवाई का आरोप लगा रहे हैं.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री जयशंकर पांडे ने बीबीसी से कहा, "इस समय पुलिस वर्ग विशेष से बदला लेना चाहती है. अवधेश प्रसाद के चुनाव जीत जाने से सरकार बदले की मंशा से काम कर रही है. बच्ची के साथ दुखद घटना हुई है और दोषी के ख़िलाफ़ कार्रवाई होनी चाहिए."
उन्होंने कहा, "पीड़िता को सामाजिक, आर्थिक और मानसिक मदद करना चाहिए लेकिन किसी निर्दोष को प्रताड़ित कर उससे चुनावी बदला नहीं लेना चाहिए."
एसएसपी राज करण नय्यर ने बीबीसी से कहा, "जिस हिसाब से तहरीर दी गयी है उसके हिसाब से कार्रवाई की गई है."
बुलडोज़र एक्शन पर सवाल

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अयोध्या में इस मामले में प्रशासन ने बुलडोज़र चलाया लेकिन अयोध्या से जुड़े और मामले हैं भी हैं जिनमें बुलडोज़र नहीं चला और इस पर सवाल भी नहीं उठ रहे हैं.
समाजवादी पार्टी के अयोध्या से विधायक रहे पवन पांडे ने कहा कि बहराइच में चार दिन पहले एक 20 साल की लड़की हत्या कर दी गई थी. उसमें प्रेमी समेत अभियुक्तों को पकड़ा गया लेकिन अभी तक कोई बुलडोज़र एक्शन नहीं हुआ है.
उनका कहना है कि ये सिर्फ़ एक समुदाय और समाजवादी पार्टी से जुड़े होने के कारण किया जा रहा है.
समाजवादी पार्टी का पक्ष

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विपक्षी समाजवादी पार्टी का आरोप है कि मिल्कीपुर जहां से अवधेश प्रसाद विधायक थे वहां पर उपचुनाव होना है जिसकी वजह से बीजेपी सियासत कर रही है.
पार्टी के नेता पवन पांडे ने आरोप लगाया, "अवधेश प्रसाद ने जिस तरह बीजेपी को हराया है उससे बीजेपी परेशान है और वो किसी भी सूरत में मिल्कीपुर का उपचुनाव जीतना चाहती है, यही कारण है कि इसको अपराध की नज़र से ना देखकर सियासत की नज़र से देखा जा रहा है."
चुनाव के बाद मंगलवार को योगी आदित्यनाथ भी अयोध्या पहुंचे थे.
यूपी में दस सीटों पर उपचुनाव है जिसमें पांच सीट समाजवादी पार्टी के पास थी, वहीं बाकी बीजेपी और उसके सहयोगी दलों के पास थी.
ये चुनाव दोनों ही पार्टियों के लिए प्रतिष्ठा का सवाल बना हुआ है.
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